"commission of building safety "is no solution. Like courts ordered scrapping older by 15 years and more all taxis and tempos Same way all buildings requiring major repairs or propping should be redeveloped. There should b single window permissions and banks must give loan to landowners for redeveloping.
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मुंबई
बिल्डिंग गिरने के लगातार हो रहे हादसों पर आलोचना झेल रही बीएमसी ने राज्य सरकार को हाई कोर्ट में घसीट लिया है। बीएमसी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में रिट पिटिशन दायर कर जर्जर बिल्डिंगों को खाली कराने की जवाबदेही तय करने और ठोस दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। खास बात यह है कि बीएमसी ने इस पिटिशन में राज्य सरकार और पुलिस को प्रतिवादी बनाया है। बिल्डिंग गिरने के मामलों में गंभीरता दिखाते हुए प्रशासन ने पहली बार इतना सख्त कदम उठाया है।
कानून और नियम में फंसा जर्जर बिल्डिंगों का मसला
पिछले एक साल में जर्जर हो चुकी बिल्डिंगों के गिरने से सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। हर हादसे के बाद सीधे तौर पर बीएमसी को जिम्मेदार ठहराया जाता है। ज्यादातर मामलों में नियम और कानून के पेंच में फंसने की वजह से खतरनाक बिल्डिंगों को खाली कराना मुश्किल साबित होता है। बीएमसी के अधिकारी के अनुसार, वर्तमान में जर्जर बिल्डिंगों को खाली कराने के लिए हमारे पास बेहद सीमित अधिकार हैं। 30 साल से अधिक पुरानी बिल्डिंग का स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद यदि बिल्डिंग जर्जर व खतरनाक पाई जाती है तो बीएमसी उन्हें मरम्मत या खाली करने का नोटिस देती है।
हालांकि, अक्सर निजी बिल्डिंग के निवासी घर खाली करने से मना कर देते हैं। कुछ जगहों पर तो ऑडिट रिपोर्ट फर्जी होने का हवाला देकर सोसायटी के लोग कोर्ट पहुंच जाते हैं। ऐसे में बीएमसी कुछ नहीं कर पाती है। बीएमसी ने कोर्ट के सामने ऐसे ही कुछ विवादित मामलों को पेश किया जहां, प्रशासन की ओर से नोटिस दिए जाने के बावजूद निवासी घर खाली करने से इनकार कर देते हैं। पिटिशन में हाई कोर्ट से भी जर्जर बिल्डिंगों के बारे में दिशानिर्देश निर्धारित करने का अनुरोध किया है।
'कमिशन ऑफ बिल्डिंग सेफ्टी' जल्द बनाने की मांग
बीएमसी के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पिटिशन में हमने राज्य सरकार से जल्द से जल्द 'कमिशन ऑफ बिल्डिंग सेफ्टी' सेल का बनाने का अनुरोध किया है। 1998 में राज्य सरकार ने कमजोर बिल्डिंगों से जुड़े मामलों का निपटारा करने के लिए कमीशन ऑफ बिल्डिंग सेफ्टी' बनाने की बात कही थी लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया जा सका। वहीं, पिछले साल डॉकयार्ड बिल्डिंग हादसे के बाद भी कमिशन ऑफ बिल्डिंग सेफ्टी' बनाने का वादा किया गया था लेकिन अब तक कोई प्रगति नहीं हुई। निजी हो या सरकारी सभी बिल्डिंगों के लिए सेफ्टी सेल का फैसला आखिरी होगा।
बीएमसी ने जर्जर बिल्डिंग के मामलों के लिए राज्य सरकार से ज्यादा अधिकार मांगा है। इसके अलावा मुंबई पुलिस को भी इसमें प्रतिवादी बनाया गया है। अधिकारी के अनुसार, सीआरपीसी के सेक्शन 133 के तहत पुलिस भी जर्जर बिल्डिंग से लोगों को खाली करा सकती है लेकिन इस वक्त वह बीएमसी के बुलाने पर ही आती हैं।
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